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ही हम
यह लिख देना चाहिये कि नारी श्री जैनतत्वमकाशिनी समा कल के बजे उसके समाज मनमें लिखित शास्त्रार्थको थावे ॥
यदि इस विज्ञापन पनि समय १२ घंटे के भीतर आर्यसमाज इस दि का समुचित उत्तर में देंगी तो हमारी खोजनत्वं प्रकाशिनी सभा प्रासमाजको शाखार्थ करने में सर्वथा असमर्थ समक अपने स्थानको चली जावेगी क्योंकि वह अपना समय शाखार्थकी केवल प्रतीक्षा में हो व्यर्थ नष्ट नहीं कर सकती
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घीसूलाल अजमेरा मन्त्री —— श्रीजैन कुमार सभा अजमेर तारीख़ ५ जीलाई सन् १९१२ ई०
आज प्रेतोंमें छुट्टी होने के कारण उपर्युक्त विज्ञापन दिनमें प्रकाशित न सका अतः रातो रात छपवाया गया और प्रातःकालके पांच बजे इस वि अपन को कई कापियां आसमाज भजनमें भिजवा और चिपकवा दी गयीं ।
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शनिवार ६ जुलाई १९१२ ईस्वी ।
मध्यान्हको प्रार्यसमाज अजमेरका निम्नपत्र प्राप्त हुआ।
श्रीइम्
शासन अजमेर
६ जुलाई १९९२ ई० युक्त मन्त्रीजी दिलकुमार सभा अजमेर |
ॐ००६
महाशय ! नमस्ते,
हुनागया है कि ज्ञान आपकी ओर से कोई विज्ञापन निकला है परन्तु इस वक्त ( मध्यान्हके १२ बजे ) तक हमारे पास उसको प्रति नहीं भाई है
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अतः कृष्ण कर १ प्रति इस पत्रके पाते ही शौघ्र भेजदेवें ।
N भवदीय जयदेव शर्मा मन्त्री प्रार्यसमाज अजमेर ।
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यद्यपि
उनमें बिछापन अब प्रतिफलके पांच बजे ही पहुंच गया था परन्तु समय बढ़ानेके अर्थ जो मन्त्री प्रासमाउने उपर्युक्त पत्र भेजा दो आपकी विज्ञानकी एकप्रति पुनः मेज दी गयी
झापाको कुंवर साहबका " मूर्तिपूजन, पर व्याख्यान होना निच- : न वान ा
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