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दलिचंद - सुखराजके लेखकाजवाब.
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वस, आगे इसीसूत्रके पनरा हमें अध्ययनमेदेखो ! चंपानगर किंबहार पूर्णभद्रनामके उद्यानमें धर्मघोषनामके जैनाचार्यपधारे, देखिये ! एकही ज्ञातासूत्र में जैनमुनिको गांवकेवहार उद्यान - बनखंडमें ठरनेके कितने पुरावे है ? अगर तमाम जैन आगमोमे देख जायतो सेकडों पुरावे मिलेगे, - ४४ - सवालकर्त्तालिखते है, तीर्थकर महावीरस्वामीका अखीरका चौमासा - पावापुरीमें हस्तिपालराजाकी रज्जुकसभा में हुवा,
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( जवाब . ) वो - रज्जुकसभा - पावापुरीके बहारथी - या - भीतर ? इसका खुलासा क्यौंनही लिखा ? औरयहभी बतलानाचाहिये तीर्थंकरमहावीरस्वामीका समवसरणभी क्या ! उसी रज्जुकसभा में हुवाथा ? अठारांदेश के राजे - इंद्रव गेरादेवते - जो - तीर्थंकर महावीरस्वामी के निर्वा णकेवख्तआयेथे - वे - क्या ! उसी रज्जुकसभा में बेठसकेथे ? इनबातों से सबुतहोता है, पेस्तर के जैन मुनि - गांव केवहार उद्यान - नखंडमें ठहरा करतेथे, आजकल देशकालानुसार गांव-नगर में ठहरनेका वाज चल पडा है, -
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४५ - मेने - जो - तेइससवालोके जवाबमेलिखा था-- उत्तराध्ययनसूत्रमें जैनमुनिकों दिवसतीसरे प्रहर गौचरीजाना कहा है, वो बहुत ठीकलिखाया, इसपरसवालकर्त्तालिखते है, कल्पसूत्रकीसाधुसमाचारीमे पहले दुसरे प्रहरमें भी जैनमुनिकों गौचरीजाना लिखा है, फिर चोथेकालमें मुनि - पहले दुसरे प्रहरमें गौचरी नहीजातेथे कहते हो, यह आपकीबात ठीकनही होसक्ती, -
(जवाब.) कौन कह सकते है ठीकनही होसकती, यहबात वेलेवेले के तपकरनेवाले जैनमुनिकेलिये कही है, सब जैन मुनियोंके लिये नही कही, देखिये ! कल्पसूत्र की साधुसमाचारीका पाठ यहां देता हूं इसपर गौर किंजिये ! वासावासं पज्जोसवियस्स छठभत्तियस्स भिखुस्स क