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चर्चापत्र. . ___(जवाब.) अगर बीचमें इरादाधर्मका लाकर उसआत्मार्थीसाधुने इलाजनही करवायाथातो-जिसवख्त-जीवानंदजी वैद्यने उस जैनमुनिके रोगका इलाजकरना शुरुकिया उसवख्त मना क्यों नही किइ ? और जैसा क्यों नहीकहाकि-हमारेरोगका इलाजकोइ मतकरो, हमअपने पूर्वकृतकर्मकों भोगतरहेंगे, दरअसल इरादेधर्मकेही उसजैनमुनिने इलाजकरवायाथा, और-जीवानंदजी वैद्यने इरादेधर्मकेही इलाजकियाथा, इसवातकों कोइ गलतनही कहसकता,
आगे दलिचंद सुखराज तेहरीर करते है,-गौतमगणधरने अष्टापदपर्वतपर तापसोकों भोजनकरवायाहै,-वो-गौचरीलाकर करवायाहै, गणधर गौतमस्वामीने मौललेकर नहींकरवाया,
(जवाब.) शांतिविजयजी कब कहते है, गौतमस्वामीने मौल लकर तापसोंकों आहारकरवाया ? अगर किसीजगह जैसाकहाहो,तो-साबीतकरे, या-मेरेलेखों औसा कोइलेखवतलावे, गौतमस्वामीने अशापदपर्वतकेनीचे थोडीसी-सीरसें-जो-पनरांसो तापसको आहार करवाया, अक्षीणमहागस नामकी लब्धिचलाइ-यह-इरादेधर्मके चलाइ-पा-किसलबबसे ? अगर कहाजाय इरादेधर्मके चलाइथीतो-खयालकिजिये-इरादेधर्मकी सडक कितनीमजबूतहै, जिसपर गौतमगणधर जैसे महापुरुषभी चलतेथे,
३०-फिर दलिचंद मुखराज इसमजमूनकोंपेशकरते है, कल्पसूत्रमें नवरसप्रधाना विकृतयोभी क्षणंवारंवारं आहारयितुं नकल्पते,-सापाठहै, इसकामतलब यहहैकि-बलवान् और निरोगीमुनिकों घृतदुग्धवगेरा पौष्टिकपदार्थोंका आहारनही करनाचाहिये, __(जवाब.) इसकेमाइनेमें वारंवारशब्दकों क्यौछोडदिया? सवाल कतिलाशकरे इसपाटमें देखो ! वारंवार घृतदुग्धवगेरा पौष्टिकपदार्थ