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न्यायरत्नदर्पण. महाशय फायदा होनेपरभी किसी तरहका मान नही धराते, जलमें नाव चलती है, जमीनपर रैल चलती है, जमीनसे पानीमें ज्यादा जीवहिंसाहोनेका सबब है, इस बातपर कोई गौर करे. .
रैलमें बेठनेवाले जैनश्वेतांबरमुनिकों परिग्रहकी वृद्धि होगी ऐसा जो पुछा गया है, उसका जवाब सुनिये ! लोभलालचमें न पडेतो परिग्रहकी वृद्धि नही होसकती, यह एक सिधी सडक है, रैलमें सफर करनेवाले जैनमुनिकों स्त्रीयोका संघटा होगा ऐसा जो पुछा गया है, जवाबमें मालुम हो, उपयोगसे बर्तावकरे या अलगकंपार्टमें बैठे तो स्त्री स्पर्श नही हो सकता, रैलविहारी जैनमुनियोके लिये रात्रीको विहार करनेका और दीयेका चांदना लगनेका जो पुछा. गया है, जवाबमें मालुम हो दिनमें जानेवाली रैलमें सफर करे तो ये दोनों बातें बचसकती है. रैलमें जानेसे सुखशीलता और प्रमाद बढेगा ऐसा जो पुछा गया है जवाबमें मालुम हो, सुखशीलता और ममाद जब बढे कि रैलमें बेठनेवाले जैनमुनि एक गांव या शहरमें बहुत अर्सेतक कयाम करे, में हरवख्त विचरता रहताहुं, में जिसगांव या शहरमें जाताहुं, व्याख्यानधर्मशास्त्रका हमेशां देताहुँ, ग्रंथ बनानेके काममें या किसीके सवालोंपर जवाब देनेमें लगा रहताहुं. जो लोग मेरे सहवासमें आचुके है बखूबी जानते होगें.. ___रैलमें बेठनेवाले जैनमुनिको हरेकगांवोके चैत्यदर्शनका अभाव होगा, ऐसा जो पुछागया है, जवाबमें मालुम हो, पैदलविहारी जैनमुनिकोभी यह अभाव बनारहेगा, जोजो गांव रास्तेमें पडेगें उसजगहके जिनमंदिरोके दर्शन करसकेगें, ईसीतरह रैलबिहारी जैनमुनिभी जहां जिनमंदिरका योगहोगा, उतरकर दर्शन करसकेगें. आपलोगोने जैनशास्त्रोमें कईजगह सुनाहोगा कि पेस्तर जंघाचारण विद्याचारण जैनमुनि अपनी लब्धिसे आसमानमें ऊडतेथे. कहिये! ऊनकोंभी रास्तेमें हरेकगांवके चैत्यदर्शनका अभाव होताथा या