________________
→ ॥ ग्याखाँ परिच्छेद ॥
जातिमान अश्व और मूर्ख लड़का.
806758
यथाहि, वसन्तपुर नगरमें 'जितशत्रु' नामका राजा
sis राज्यलक्ष्मीसे सुशोभित और नीतिको जाननेवाला EMI अपनी प्रजाको भली प्रकार पालन करनेमें तत्पर
रहता था । उसी नगरमें श्रावकाग्रणी 'जिनदास' नामका एक श्रेष्ठी रहता था । 'जिनदास' बड़ा दयाधर्मी, सुशील और न्यायवान था, इसलिए वह राजाका बड़ा विश्वासपात्र था । एक दिन किसी देशान्तरसे उस नगरमें बहुतसे घोड़े आये, राजाको मालूम हुआ कि किसी देशान्तरसे हमारे नगरमें घोड़े आये हैं, अत एव राजाने घोड़ोंके लक्षण जाननेवाले पुरुषोंको आज्ञा दी कि जाओ भाई परिक्षा करो, कौन कौनसे थोड़े किन किन लक्षणोंसे संयुक्त हैं । परिक्षक लोगोंने वहां जाकर सबही घोड़े देखे, मगर उन सब घोडोंमें एकही 'बछेरा' संपूर्ण लक्षणोंसे संयुक्त था, उस 'बछेरे' के शरीरमें एक लक्षण ऐसा भी था कि जिससे उसके स्वामिकी संपदा वृद्धिगत होती रहे । इस प्रकार शास्त्रोक्त अश्वलक्षणोंसे उपेत उस 'बछेरे' को देखके उन्होंने राजासे कहा-राजन् ! शास्त्रमें लक्षण इस प्रकार कहे हैं-श्रेष्ठ
18