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वस्तुपालना पक्षमा रही जमणमां भाग लीधो ते सर्व वणिको दशा श्रीमाली, दशा ओसवाल, दशा पोरवाड तरीके प्रसिद्ध थया अने जेओए जमवामां भाग लीधो नहीं तेओ बीशा श्रीमाली वगैरे तरीके प्रसिद्ध थया।"
__ जैन कान्फरन्स हेरल्ड में श्री अमरचंदजी पी परमार ने लिखा है 'कः
" पाटण गुजरातमां वस्तुपाल तेजपाल नामना बे नामांकित जैन भाइयो हता, ते ओए...... सं. १२७५ नी आस पासमां आबू उपर आरसना भव्य मंदिर, अनेक दानशालाओ, वावो, धर्मशालाओ वगैरे बंधाव्यां हतां तेओए आवू उपर सं. १२७५ ना वर्षमा एक भव्य जमण जैनों ने आप्यूं हतो। तेमां जमवा जवानी बाबतमां अमुक कारणेसर वांधो पड्यो हतो। केटलाएक लोको तेओना पक्षमा रहीने जमवा गया हता अने बीजा नहीं गया हता । जेओ जमवा न होता गया तेओ पोताने वीस विश्वाना गणी जनवा जनाराओने दसा (हलका) कहीने बोलाववा लाग्या; अने पोताने वीसा कही ओलखाव्या । ए जैनो मोटी संख्यामा आबू पर प्रतिष्ठा करवा गएला होबाथी तेमां घणी जातीओ हती । तेशीज त्यां गल्ला ओसवाल, श्रीमाली, पोरवाड हूदड, भीमा कोरमां बीसा ओलवाल दसा ओर वाल इत्यादि जाति बाल जोवामां आवेछे, पण दसानी जानि बहूज जुज जोवामां आवे छ।