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इस के आगे कविने ८४ ज्ञाति के नाम बताये हैं । तत्पश्चात् पेहेरामणी देने के समय धोलका की यशोधर पोरवाड की स्त्री अपना छोटा लड़का देवदत्त को साथ लेकर वहां उपस्थित हुई, और कहने लगी कि, मेरी युवा अवस्था है, मैरालड़का - छोटा है, मैं पुनर्विवाह करना चाहाती हूं. अतः पंच मुझे ऐसा करने की परवानगी देवें । यह सुनतेही पंचों में संन्नाटा छाया, तब कवी कहता है :
नारी वचन ते सांभळीरे; साजन दहुं दिशे जाय, वारू वांणियोरे, प्रधान पासे जेता रह्यारे, ते लघुशास्त्रा कहिवाय, नान्हो बालुडेारे. पागे लागी मंत्री वीनवेरे, साजनासूं जार न थाय, वारू वाणियोरे, लाजे पड्या केता वांणियारे, प्रधाननी बांह साय, नान्हो वालुडोरे, लघु शाखा तिहां थापतां रे, निज निज न्यात कहिवायके, वारू वांणियोरे, शाखा प्रशाखा प्रस्तरीरे, वीजो नहीं किसी अन्यायरे, नान्हो वालुडोरे यशोमती न्यात अजू चालतीरे, राख्यो न्यानो बंध के, बारू बांणियोरे, वृद्ध शाखी ते जाणियैरे, लघु वस्तुपालथी संघ के, नान्दो वालुडोरे,
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