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लघुशाखा-प्राग्वाट ।
आग्रा-वोहरन टोला में। सं. १७१० व. जे. सु. ६ मिति प्राग्वाट लघुशाखायां श्री व्य. मं. मनजी केन सुपार्श्व बिंब कारितं । प्रतिष्ठितं तपा विजयराज सूरभिः ।
वृद्धशाखा-प्राग्वाट । जेसलमीर-सेठ थीरु साहजी का देरासर-पंचतीर्थ सं. १५७९ वर्षे वैशाख सुदि १२ रवी वृद्ध प्राग्वाट झातीय श्रे. सिवा भा. धर्मिणी सु. श्रे. हांसा भा हासल दे सुत मूला युतेन स्वय से श्री आदिनाथ चतुर्विंशति का कारिता । प्रतिष्टिता साधु पूर्णिमा पक्षे भट्टारक श्री उदयचंद्र सूरि तत्पहे भट्टारक श्री मुनिचंद्र सूरिभिर्विधिना ॥ श्रीचंपक नगर वास्तव्य ॥ कल्याणंच ॥
वृद्धसज्जनीय-ओसवाल । कुंभारिया के मंदिर की प्रतिमा पर का लेख : __सं० १६७५ वर्षे माघ शुद्ध चतुर्थ्यां-शनौ--श्री उपकेश शातीय वृद्ध सज्जनीय तपागच्छे भट्टारक + + x"
(तीर्थ गाइड).