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सु. आविक या श्री अंचल गच्छ नायक श्रीजयकेसरी सूरिणा - मुपदेशेन स्वश्रेय से श्री कुंथुनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री संघेन. ॥ श्री . 11
[ ' श्रीमाळीओना ज्ञाति भेद' से ]
वृद्धशाखा - प्राग्वाट । तीर्थ श्री चम्पापुर-धातु मूर्तिपर |
सं. १५८१ वर्षे माघ वदि १० शुक्रे श्री प्राग्वाट ज्ञाति वृन्नशाखायां व्य. सहसा सु. व्य. समधर भा. बडधू सु. व्य, हेमा भार्या हिमाई सुत व्य तेजा जीवा वर्धमान एते प्रतिष्ठापितं श्री निगम प्रभावक आणंद सागर सूरिभिः ॥ श्रा शांतिनाथ वित्रं श्रीरस्तु श्रीपत्तन नगरे ||
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[ श्री. पू. नाहर के 'जैन लेख संग्रह' से ]
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वृद्धशाखा - प्राग्वाट् ।
उदयपूर- मेवाड-श्रीशीतलनाथजी का मंदिर पंचतीर्थी पर सं. १५९७ वर्षे पोस वदि ५ सकरे सहूओला वास्तव्य प्राग्वाट वृद्ध शाखायां दो० वीरा भा० भाणा भा० भरमादे तेनसा श्रेयसे श्री आदिनाथ बिंबं का० प्र० श्रीजिनसाधुसूरिभि । [ श्री पूं० नाहर के जैन ले० संग्रह से ]