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तेनि सूत ४ तापीदास " तलसीदास, गोवंददास, गोकलदास बिनि ” १ बाई लाडकी, बीजु भाई परीख नाननी भार्या गुरबाई तेनु पिता वीरजी कहाननी. दीकरी तेनी सूत मोहनदास ग्नाति श्री डीडू साजनि वसा २० गोत्र देव्या लेखासर वास व सूत्र " कार्य कर्ता सार्थी साहादेवजी वाघजी कासी आ सूत्रधार भीखा गला पीतु देवजी सीरंग गोबंद त्रय पेढी माती सोमपरा शाखा इंदु शल्य भी गोत्र देव्या त्रीपुर सुंदरी विश्वकर्मा कुले प्रासाद कर्ता सं. १६८६ वर्षे शाके १५५१ प्रवर्तमाने मार्गशीर्ष मासे कृष्ण पक्षे १३ बुधवासरे विसाखा नक्षत्रे तदिने कार्य संपूर्ण शिव मल्लका अर्युननी क्रीपाथी कार्यदापादआ "
[श्रीमालिओना ज्ञाति भेद से ]
इस लेख में डीडू साजनी वसा २० ऐसा लिखा है। "वीसा डीडू" लिखने के बदले "वसा २०” लिखा है अर्थात् वीसा और "वसावीस" ये दोनों एक ही अर्थक बोधक होना चाहिये। वीस वसा का हिंदी अर्थ बीस विसवा है।
॥ वीस वसायल वांणियो जुत्रो ते नाम कहाई ! आचारज स्थापन करी गच्छ चोरासी मांहि ॥५२॥
(ऐ. राखमाला). वणिक गुण वर्णन करते समय शामलभट कहते हैं कि
वीश वसा नहि वणिक, जीभेजे जूहूं बोले, " , , , पेट नो पडदो खोले,