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श्रीमाल नगर तूटने के पश्चात् वहां के लोग पाटण, गुजरात, मारवाड, जांगल पद्मावती आदि अन्य स्थानों में जा बसे। पाटण और चांपानेर के राज्य तूटकर वहां की प्रजा दक्षिण गुजरात तथा अन्य दूर देशों में जा बसी, और जहां तहां अपनी दल बंदी ( संघ ) करके उन्होंने आपुस में समाजिक व्यवहार प्रचलित किये। आज जैसे आवागमन के सुलभ साधन, शांतता तथा निर्भयता पहिले न होने से शनेः शनैः दूर गये हुए लोगों का गुजरात से व अपने मूल स्थान से संबंध स्थगित हुआ, वह अब तक वेसा ही है । पोरवाड लोक श्रीमाल से गुजरात, मारवाड, मेवाड, गोडवाड, जांगल पद्यावती आदि प्रांत वा नगरों में विभाजित हुए और ऊपर बताये हुए कारणों से एक प्रांतवालों का दूसरे प्रांतवाले से संबंध होना रुक गया। इस प्रकार वणिक तथा अन्य मातियों में प्रांतवार और भी नये भेद हो गये।
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श्रीमाल नगर।
प्रस्तुत इतिहास पोरवाड झाति का होने से उक्त ज्ञाति बन्धुओं को उनके मूल स्थान से परिचित कर देना तथा जन साधारण को पुराणों के अलंकार और श्रीमाल नगर के