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ऐतिहासिक महत्व से परिचय करा देना यही निम्न पंक्तियां लिखने का उद्देश्य है।
अहमदाबाद अजमेर रेल्वे लाइन के पालनपुर और आबूरोड स्टेशन से पश्चिम की ओर लगभग चालीस माईल पर गुजरात मारवाड की सीमापर श्रीमाल नगर के प्राचीन खंडहर देखन में आते हैं। अन्य प्राचीन ज्ञातियों के मूल महास्थानों की जो दशा हुई हे उसी दशा को श्रीमाल नगर भी पहुंच चुका है । इस नगर पर अनेकबार परचक्र आये
और अनेकबार उसका नाश हुआ। फिर भी अनेक अवस्थातरों के पश्चात् उसका "भिन्नमाल" में नामांतर हुआ।
श्रीमाल पुराण, श्रीमाल नगर और निकटवर्ती तीर्थों के वर्णनार्थ तथा श्रीमाली झातिओं का ऐतिहासिक स्वरूप बताने के लिये ही रचा गया है। इसमें श्रीमाल नगर की स्थापना थेट कृतयुग 'सतयुग' में होना बताई है। विष्णुपनि लक्ष्मीदेवीने विष्णु से वरदान पाकर इस नगर को इंद्रपुरी समान सुशोभित बनाया। नगर वास्तु के समय ब्रम्हादि सर्व देव उपस्थित हुए और उन्होंने लक्ष्मी का पुष्पहार से आदर किया ।
श्रियमुदिश्य मालाभिरावृत्ता भूरियं सुरैः । ततः श्रीमाल नामन्यास्तु लोके ख्यातमिदंपुरं ।
श्रीमाल पुराण भ. ९ श्लोक ३६-३७.