________________
(४) ( इस किताबके छपवानेमे जिनजिन महाशयोने दौलत
__ खर्चकिइ-उनके नाम इस मुजबहै.) शेठ-दौलतरामजी-खूबचंदजी-मारवाडी-मोतीवाले, . शेठ-बालचंदजी-गुलाबचंदजी-मारवाडी-मोतीवाले, शेठ-रतनशी-वीरम-कछ-कोठारावाले, शेठ-हंसराजजी-मेघजी-कछ-मुजपुरवाले, शेठ-हठमलजी-धनजी-मारवाडी-मोतीवाले, शेठ-वेलजी-माणक-कछ-तेरावाले, शेठ-कानजी-जयवत-कछ-वाडियावाले,
उपरलिखे महाशयोने बेशक ! इसकिताबके छपवानेमें उमदा तोरसे खर्चकियाहै, हम-खास-मुकाम-पांचोरेमें करीब (४) महिने रहे, कोइतकलीफ-नहीहुइ, सब वख्त ज्ञानचर्चा में गुजरा, यहांपर(१) जैनश्वेतांबरमंदिर और (५०) घर श्रावकोके आबादहै, सबश्रावकोने हमारी खिदमतकिइ, इसकिताबकों पढकर आमलोग फायदा हासिल करे,-ग्रंथवनाना उसीका नामहै-जिसमें इन्साफ और चतराइके लेखहो,
[ दोहा,] चतराइकी बातमें बातबातमें बात, ज्यूकेलेके पातमें-पातपातमें पात, १ 3 ब-कलम-विद्यासागर-न्यायरत्न.
, मुनि-शांतिविजयजी.