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विषय सुख में दावे अनंत
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दायर करेगी, कि जहाँ उसकी गति होगी वहीं पर आपको भी ले जाएगी। क्योंकि उसके साथ क़रारनामा हो गया फिर क्या हो सकता है ? केरलवालों के यहाँ गए हों और वहाँ से पाँच-सौ रुपये उधार लिए हों और फिर वापस नहीं लौटाओ तो उसका दावा वह कहाँ दायर करेगा? अरे! वह तो फिर केरल की भाग-दौड़ में, किराए में ही पाँच-सौ रुपये खर्च हो जाएँगे! और वापस वहाँ जाकर चुकाने पड़ेंगे, वह अलग। अतः यदि दावा करे तो वह जहाँ हो आपको वापस वहीं पर जाना पड़ेगा, ऐसा है।
अतः ऐसे दावा नहीं हो, यह देखना। बहुत जोखिमदारी है! और जितनी फाइलें हों उनका झट-पट निकाल कर देना और नई फाइल खड़ी मत करना। आसान है या मुश्किल है यह?
प्रश्नकर्ता : प्रतिक्रमण करते रहें तो क्या आसान हो जाएगा?
दादाश्री : हाँ, आसान हो जाएगा। हमने आपको मोक्ष हाथों में दिया है। अब आपको जितना मोक्ष भोगना आए, उतना आपका। इसमें दावा करे ऐसी 'फाइल' है, इसलिए क्रमिक मार्ग में इसके लिए बहुत सख्ती से कहा गया है और हम भी यहाँ पर इसके बारे में सख्ती रखने को कहते ही हैं कि इसमें सावधान रहना।
___ 'मिश्रचेतन' तो दावा करेगा ही स्त्री तो मिश्रचेतन है। चेतन से शादी करना, जबकि ये तो मिश्रचेतन से शादी करते हैं। माता-पिता को मालूम ही नहीं है न, ध्यान ही नहीं रखते कि बेटा कौन से मील पर खड़ा है और उसे क्या बेचैनी है? माता-पिता अपने दु:ख में और बेटा अपने दु:ख में! यह मिश्रचेतन तो दावा करता है! उन्हें सिनेमा देखने जाना हो और आपको पसंद नहीं हो, फिर भी वह कहेगी कि, 'आपको आना पड़ेगा।' तो आपको जाना पड़ेगा! इतना ही नहीं, लेकिन 'आपको बच्चे को भी उठाना पड़ेगा।' ऐसा भी कहेगी। अरे! बच्चा भी उठवाया मुझसे? हाँ। लेकिन क्या हो सकता है? यदि बेवकूफ बनना हो तो शादी करना इस काल में!
प्रश्नकर्ता : लेकिन जिसने शादी कर ली है, अब वह क्या करे?