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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू)
देखते ही बेचारी को घबराहट हो जाए। वह स्त्री समझे कि अपने से कोई सवाया मिला।
प्रश्नकर्ता : तो उनमें चारित्रबल नहीं होता? इन भगेडू वृत्तिवालों में?
दादाश्री : कैसा चारित्रबल? चारित्र बलवाले होते होंगे? क्या वे ऐसे होते होंगे?
प्रश्नकर्ता : एक तरफ तो आप कहते हैं कि हाथ पकड़े, तब रोना नहीं है।
दादाश्री : कैसे रह सकता है? इन्हें तो अंदर डर लगता है, यों घबराहट हो जाती है।
प्रश्नकर्ता : एक तरफ चारित्रबल नहीं आया और दूसरी तरफ उनकी यह भगेडू वृत्ति है, तो क्या वह ठीक है?
दादाश्री : कौन मना कर रहा है? लेकिन यदि भगोड़ वृत्ति के बिना हो न, तब खरा कहलाएगा।
प्रश्नकर्ता : तो इन भगेडू वृत्तिवाले को खुद को कैसे पता चलेगा कि चारित्रबल आ गया?
दादाश्री : हाथ पकड़े तब। आप अकेले हों और हाथ पकड़े तब घबराहट नहीं हो तो समझना कि चारित्रबल आ गया। यह तो घबराहट, घबराहट, घबराहट...
नहीं डालना चाहिए दबाव ब्रह्मचर्य के लिए...
ये सभी लड़के ब्रह्मचारी रहनेवाले हैं। मैंने इनसे कहा कि शादी कर लो। तब लड़के कहते हैं कि, 'नहीं, हमें ब्रह्मचारी रहना है।' अब, शादी के लिए हम उन पर दबाव भी नहीं डाल सकते क्योंकि उन्होंने पहले भावना की हुई है। दबाव डालना, वह भी गुनाह है और अगर कोई शादी कर रहा हो और उसे शादी के लिए मना करें तो वह भी गुनाह है।