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सेफ साइड तक की बाड़ (खं-2-११)
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वहाँ साथ में बैठकर बातचीत करें, सत्संग करें, थोड़ीदेर आनंद करें। उनकी दुनिया ही नई! इसके लिए तो ब्रह्मचारी साथ में रहने चाहिए। सब साथ में नहीं रहें और घर पर रहें तो परेशानी ! ब्रह्मचारियों के संग के बिना ब्रह्मचर्य का पालन नहीं किया जा सकता। ब्रह्मचारियों का समूह होना चाहिए और वह भी पंद्रहबीस लोगों का होना चाहिए। सभी साथ में रहेंगे तो दिक्कत नहीं आएगी। दो-तीन लोगों का काम नहीं है। पंद्रह-बीस होंगे तो उनकी तो हवा ही लगती रहेगी। हवा से ही सारा वातावरण उच्च प्रकार का रहेगा, वर्ना ब्रह्मचर्य पालन करना आसान नहीं है।
हम थोड़े ही कहीं वंश चलाने आए हैं? क्या राज्य स्थापित करने आए है? यह तो हम निकाल करने के लिए आए हैं, लेकिन यह तो बीच में नया आइटम निकल आया! तो ऐसा भी नहीं कह सकते कि तू ब्रह्मचर्य का पालन मत करना और हाँ भी नहीं कह सकते कि तू पालन करना। कर्म के उदय होंगे तो पालन कर भी सकता है और पालन कर सके तो फिर उसे अपने से मना भी नहीं किया जा सकता। ब्रह्मचर्य रहे तो लोगों का कल्याण करने में फिर निमित्त बन सकेगा!
___ ब्रह्मचर्य के लिए पिछले जन्म में कुछ निश्चय किया होगा, तभी तो इस जन्म में निश्चय करने का विचार आता है, वर्ना वह विचार ही नहीं आ सकता। बाकी देखा-देखी से किया जानेवाला काम का नहीं है। स्वाभाविक होना चाहिए। संग एक ही प्रकार का होना चाहिए। दूसरा संग नहीं घुसना चाहिए। दूध तो दूध और दही तो दही, और दूध और दही पास-पास रखे हों, तो भी दूध फट जाता है। फिर चाय नहीं बन सकेगी।
संगबल की सहायता, ब्रह्मचर्य के लिए प्रश्नकर्ता : संग का इतना अधिक महत्व क्यों है? दादाश्री : संग पर ही तो आधारित है।