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नहीं हुए तो सभी पागल हो जाओगे । सामनेवालों को चिढ़ाते रहे, इसी वजह से पागल हुए हैं
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जिसे ‘एडजस्ट' होने की कला आ गई, वह दुनिया से 'मोक्ष' की ओर मुड़ गया। 'एडजस्टमेन्ट' हुआ, उसीका नाम ज्ञान। जो 'एडजस्टमेन्ट' सीख गया, वह पार उतर गया।
कुछ लोगों को रात को देर से सोने की आदत होती है और कुछ लोगों जल्दी सोने की आदत होती है, तो उन दोनों का मेल कैसे होगा ? और परिवार में सभी सदस्य साथ रहते हों तो क्या होगा? घर में एक व्यक्ति ऐसा कहनेवाला निकले कि 'आप कमअक़्ल के हैं', तब आपको ऐसा समझ लेना चाहिए कि यह ऐसा ही बोलनेवाला था । आपको एडजस्ट हो जाना चाहिए। इसके बजाय अगर आप जवाब दोगे तो आप थक जाओगे। क्योंकि वह तो आप से टकराया, लेकिन आप भी उससे टकराओगे तो आपकी भी आँखे नहीं हैं, ऐसा प्रमाणित हो गया न!
हम प्रकृति को पहचानते हैं, इसलिए आप टकराना चाहो तो भी मैं टकराने नहीं दूँगा, मैं खिसक जाऊँगा । वर्ना दोनों का एक्सिडेन्ट हो जाएगा और दोनों के स्पेयरपार्ट्स टूट जाएँगे। किसी का बंपर टूट जाए तो अंदर बैठे हुए की क्या हालत होगी? बैठनेवाले की तो दुर्दशा हो जाएगी न! इसलिए प्रकृति को पहचानो। घर में सभी की प्रकृतियाँ पहचान लेनी है।
ये टकराव क्या रोज़-रोज़ होते हैं? वे तो जब अपने कर्मों का उदय हो, तभी होते हैं, उस समय हमें 'एडजस्ट' होना है । घर में पत्नी के साथ झगड़ा हुआ हो तो उसके बाद उसे होटल ले जाकर, खाना खिलाकर खुश कर देना। अब तंत नहीं रहना चाहिए।
जो भी थाली में आए वह खा लेना । जो सामने आया, वह संयोग है और भगवान ने कहा है कि संयोग को धक्का मारेगा तो वह धक्का तुझे लगेगा। इसलिए हमारी थाली में हमें नहीं रुचती चीज़ें रखी हों, तब भी उसमें से दो चीजें खा लेते हैं ।
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