________________
आप्तवाणी-८
कोई। 'सभी गेहूँ हैं' वह तो व्यापारी ऐसा बोलते हैं । व्यापारी क्या ऐसा कहता है कि ‘गेहूँ और कंकड़ दोनों हैं?' तब तो हम ऐसा कहेंगे कि, 'कंकड़ को कम कर डालो।' लेकिन व्यापारी ऐसा कहता है, 'सभी गेहूँ हैं।' लेकिन जिसे खाने हैं उसके लिए गेहूँ और कंकड़ दोनों हैं।
१७९
यानी या तो कंकड़ को पहचान या फिर गेहूँ को पहचान, दोनों में से एक को पहचानेगा तो चलेगा। ये गेहूँ और कंकड़ बीनने हों, तो उनमें अगर सिर्फ कंकड़ को ही पहचान लेगा तो चलेगा या नहीं चलेगा?
प्रश्नकर्ता : कंकड़ को पहचान लें तो बाकी जो बचे वे गेहूँ हैं।
दादाश्री : यानी कि 'एक को जान लोगे तो दोनों को जान लोगे' कहते हैं। इसलिए हम आपको 'शुद्धात्मा' की पहचान करवा देते हैं। तो बाकी का सब भी जान गए ।
ये लोग क्या कहते हैं? ' अरे बहन, गेहूँ बीन लिए क्या?' और बीन रही होती है कंकड़। यानी अपनी इस भाषा को तो देखो। हम वहाँ पर जाएँ, और कहें कि ‘आप तो कह रहे थे न कि गेहूँ बीन रही हूँ लेकिन आप तो कंकड़ बीन रहे हो ।' तब वे कहेगी, 'नहीं, गेहूँ ही बीन रही हूँ न?' लेकिन देखो कंकड़ बीनती है न! क्यों ऐसा बोलते होंगे लोग?
प्रश्नकर्ता : सच्ची समझ नहीं है न!
दादाश्री : यह संसार भ्रांति स्वरूप है न, इसलिए सभी बातें भी उल्टी ही होती हैं।
आत्मा निर्गुण है या अनंत गुणधाम ?
कृष्ण भगवान ने जो समझाया है, उस बात को ही यदि समझ जाएगा तो भी सच्चा भक्त बन जाएगा। कृष्ण भगवान ने तो पूरा साइन्स बता दिया है और उन्होंने कहा है कि चारों वेद त्रिगुणात्मक हैं। ये चार वेद तो लोगों के लिए हैं। लेकिन जिन्हें मोक्ष में जाना है, उन्हें इन चार वेदों से आगे आना है, गीता में आना है।