________________ जगत् कल्याणी आप्तवाणी निरंतर, सुबह दातुन करते समय भी यह (टेपरिकॉर्डर) रखा जाता है। एक शब्द निकले, उसे भी ये लोग छोड़ते नहीं हैं। और फिर पुस्तकें छपती हैं उन पर से। इन्हें पढ़ेंगे तो कल्याण हो जाएगा। इस वाणी को पढ़ते ही दिल में ठंडक हो जाएगी। यह इस काल का सबसे बड़ा आश्चर्य है! अमेरिका में तो लोग आफ़रीन हो गए इस आप्तवाणी को पढ़कर। जगत् के लिए बहुत कल्याणकारी है न!, जगत् के लिए हितकारी है न! पूरे जगत् का कचरा निकाल दे ऐसी वाणी है यह। - दादाश्री आत्मविज्ञानी 'ए. एम. पटेल' के भीतर प्रकट हुए दादा भगवानना असीम जय जयकार हो Printed in India dadabhagwan.org MRP 100