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[१२] प्राकृत गुणों का विनाश हो जाएगा! अपने पर जिसकी छाया पड़े, उसका रोग अवश्य घुस जाता है। यह हाफूज़ का आम ऊपर से कितना ही रूपवान हो, लेकिन उसका हमें क्या करना है? भले ही कितने भी गुण हों, फिर भी क्या करना है? कोई कहे कि साहब, इसमें इतने सारे गुण हैं, गुणों का धाम है न?
तब वीतरागों ने क्या कहा?
यह फर्स्टक्लास गुणों का धाम तो है। परंतु वह किसके अधीन है? वे गुण उसके खुद के अधीन नहीं हैं। पित्त, वायु और कफ के अधीन हैं। ये तीनों ही गुण यदि बढ़ जाएँ, तो उसे सन्निपात हो जाएगा और तुझे गालियाँ देगा! एक अक्षर भी किसी को गाली या अपशब्द नहीं बोले, वैसा मनुष्य, सन्निपात होने पर क्या करता है? इसलिए भगवान ने कहा है कि एक ही गुंठाणे (४८ मिनट्स) में ये सभी पौद्गलिक गुण फ्रेक्चर हो सकते हैं, ये गुण इतने विनाशी हैं। तू कमाई कर-करके कितने दिनों तक करेगा? और त्रिदोष होते ही सब एक साथ खत्म हो जाएँगे!
जब मनुष्य से दुःख सहन नहीं होता, तब दिमाग़ में क्रेक पड़ता है। उसे सन्निपात नहीं कहते, परंतु क्रेक कहते हैं। हमें ऐसा लगता है कि ऐसा कैसा बोल रहा है? वह इसलिए कि इस इन्जन में क्रेक पड़ गया है, उसकी दादा के पास से वेल्डिंग करवा लेना। नये इन्जन में भी क्रेक पड़ जाता है! दुःख सहन नहीं हो पाए और सच्चा पुरुष हो, तो क्रेक हो जाता है, वर्ना ढीठ हो जाता है। ढीठ से तो क्रेक अच्छा, क्रेक का तो हम वेल्डिंग कर दें तो इन्जन चल पड़ता है। सभी नये ही इन्जन, लेंकेशायर में से लाए हुए, परंतु हेड क्रेक हो गए हैं तो चलेंगे किस तरह? इन मनुष्यों