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________________ बैरबीज में से झगड़ों ज्ञान से, बैरबीज छूटे जैसा अभिप्राय वैसा असर यह सद्विचारणा, कितनी अच्छी शंका, वह भी लड़ाई-झगड़े... ऐसी वाणी को निबाह लें २४० २४० २४१ २४१ २४२ क़ीमत तो सिन्सियारिटी... २४२ ममता के पेच खोलें किस तरह? २४३ सभी जगह फँसाव कहाँ जाएँ ? पोलम्पोल कब तक ढँकनी ? २४३ २४४ २४६ ... ऐसे फँसाव बढ़ता गया ... उसे तो 'लटकती सलाम !' एक घंटे का गुनाह, दंड जिंदगी पूरी २४८ ऐसी भावना से छुड़वानेवाले... २४७ 'ज्ञानी' छुड़वाएँ, संसारजाल से [ ६ ] व्यपार, धर्म समेत २५९ २५९ जीवन किसलिए खर्च हुए? विचारणा करनी, चिंता नहीं चुकाने की नीयत में चोखे रहो २६० ... जोखिम समझकर, निर्भय रहना २६१ ग्राहकी के भी नियम हैं २६१ अंत में, व्यवहार आदर्श... शुद्ध व्यवहार : सद्व्यवहार पगला अहंकर, तो लड़ाई.... २४८ ऐसी वाणी बोलने जैसी नहीं है २४९ संसार निभाने के संस्कार - कहाँ ? २५० इसमें प्रेम जैसा कहाँ रहा? २५१ नोर्मेलिटी, सीखने जैसी २५२ ... शक्तियाँ कितनी 'डाउन' गई? २५२ भूल के अनुसार भूलवाला मिले २५३ शक्तियाँ खिलानेवाला चाहिए प्रतिक्रमण से, हिसाब सब छूटें ... तो संसार अस्त हो [७] ऊपरी का व्यवहार अन्डरहैन्ड की तो रक्षा करनी.... २६६ सत्ता का दुरुपयोग, तो.... [८] कुदरत के वहाँ गेस्ट कुदरत, जन्म से ही हितकारी २६९ पर दखलंदाज़ी से दुःख मोल... २७० ... फिर भी कुदरत, सदा मदद... २७२ प्रामाणिकता, भगवान का ... २६३ ... नफा-नुकसान में, हर्ष - शोक... २६३ व्यापार में हिताहित २६४ ब्याज लेने में आपत्ति ? २६४ किफ़ायत, तो 'नोबल' रखनी २६५ [९] मनुष्यपन की क़ीमत २७६ २७८ २५४ २५४ २५५ २५६ २५७ [१०] आदर्श व्यवहार २७४ ‘इनसिन्सियारिटी' से भी मोक्ष २७५ २६७ 48 आदर्श व्यवहार से मोक्षार्थ सधे २७९
SR No.030015
Book TitleAptavani Shreni 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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