________________ वीतराग मार्ग 419 वर्ना खुद यदि डूब रहा होगा तो हमारा क्या भला करेगा? जो खुद दाता पुरुष होते हैं, वे तो मोक्ष का दान देने के लिए ही आए होते हैं, लेने के लिए नहीं आए होते! जो मोक्ष का दान लेने आए हों, वे हमें क्या देंगे? दान लेने आनेवाला दान देता है क्या? जो मोक्ष का दान देने आए हैं, ऐसे 'ज्ञानीपुरुष' के पास अपना काम होगा, मोक्षदाता पुरुष और जिनके पास स्टॉक में मोक्ष है और खुद मोक्ष स्वरूप हो चुके हैं, वे ही हमें मोक्षदान दे सकते हैं। पूरा जगत् कैसे वीतरागता को समझे, कैसे वीतराग मार्ग को प्राप्त करे, भले ही मोक्ष प्राप्ति न हो पाए, लेकिन वीतराग मार्ग को प्राप्त करो। एक मील चलो, लेकिन वीतराग मार्ग पर चलो। जिस धर्म को पकड़ा हो, उस धर्म के जितने वीतराग मील हों, उसमें एक मील तो एक मील, लेकिन वीतराग मार्ग में आगे बढ़ो! 'ज्ञानीपुरुष' इतना ही कहते हैं। __ये पुस्तकें तो हीरे जैसी हैं। काँच के इमिटेशन हीरे और सच्चे हीरे सब एक साथ पड़े हुए हों, उनके जैसे ये शास्त्र हैं। उनमें से अगर कोई जौहरी होगा, तो एकाध पुस्तक को पहचान पाएगा, लेकिन अभी कोई जौहरी बचा नहीं है। जो रहे-सहे होंगे न जौहरी, वे शायद ही कोई बचे हैं, बाकी जौहरीपन रहा नहीं है। जौहरीपन ही चला गया है पूरा, यानी जौहरीपन चला गया है! शास्त्र तो क्या करते हैं? शास्त्र तो मार्गदर्शन देते हैं कि गो टु ज्ञानी। क्योंकि आत्मा तो अवर्णनीय है और अवक्तव्य है, वाणी से बोला जा सके, वह ऐसा नहीं है। उसका वर्णन हो सके ऐसा नहीं है। वीतराग धर्म वीतराग धर्म यानी क्या? वीतराग धर्म किसे कहते हैं? जहाँ निर्विवादिता है, वहाँ पर वीतराग धर्म है। वीतराग धर्म होता है, वहाँ वाद पर विवाद भी नहीं होता, प्रतिवाद भी नहीं होता। अपने यहाँ बारह साल से ये प्रवचन चल रहे हैं, लेकिन किसीने भी विवाद नहीं किया है अभी तक! क्योंकि स्यादवाद वाणी में विवाद कैसा? मुस्लिम भी क़बूल करते हैं, यूरोपियन भी क़बूल करते हैं, सभी को क़बूल किए बिना चारा ही