________________
जगत् - पागलों का हॉस्पिटल
२४१
अपने आप को न जाने क्या मानते थे? इन्होंने तो दूसरों पर बहुत अत्याचार किए।
बिल्ली आकर आपके दूध में मुँह डाल जाए तो वह दूध चला लेते हो, तो यहाँ भी चलाना चाहिए या नहीं? चलाने की भी हद होती है!
गाँव का ठाकुर हो और उसका चचेरा भाई हो तो वह घोड़े पर सवार होकर नहीं चल सकता था, उसे उतरकर चलते हुए गाँव में जाना पड़ता है। घोड़ा और वह दोनों साथ में जाएँ तो उसमें तेरा क्या जाता है? तुम्हारा अहंकार ऐसा तो कितना घायल हुआ। यदि घोड़े पर जाए तो मारामारी और खून-खराबे तक पहुँच जाते थे!
इन्हें आर्यपुत्र कैसे कहा जाए? मिलावटी सोना और सच्चा सोना, दोनों हो, उसमें मिलावटी सोने में सोने के गुण पता नहीं चले तो उसकी क़ीमत क्या? एक हिन्दुस्तानी में तो अनंत शक्तियाँ हैं, लेकिन सभी उल्टी तरफ नष्ट हो रही हैं। बेकार नष्ट हो रही हैं। वह तो 'ज्ञानीपुरुष' से मिले तो शक्ति सीधी राह पर मुड़े और काम में आए। यह शक्ति व्यर्थ किस तरह की? यह भाई आई.ए.एस. का कर रहे हैं तो मैं भी निश्चय करता हूँ कि मुझे आई.ए.एस. होना है। ऐसे नकल कर-करके शक्तियाँ व्यर्थ नष्ट की। सिर्फ मेन्टेनेन्स के लिए अथाग शक्तियाँ व्यर्थ नष्ट की! और वह भी कलुषित भाव से ज़बरदस्त शक्तियाँ व्यर्थ नष्ट कीं! ऐसे नकल करने से तो भीतर की जो सिलक थी, वह भी चली गई। आंतरिक सुख का बैलेन्स मत तोड़ना। यह तो जैसा ठीक लगे वैसे सिलक का उपयोग कर दिया। तो फिर आंतरिक सुख का बैलेन्स कैसे रहे? नकल करके जीना अच्छा है या असल? असल। जबकि ये लड़के तो एक-दूसरे की नकल करते हैं। हिन्दुस्तान के लोगों को तो, कोई असल लिखकर लाए न, तो हमें उसकी नकल नहीं करनी चाहिए। हम लोगों को नकल नहीं करनी चाहिए, बल्कि यह तो फॉरेनवाले अपनी नकल कर जाएँ वैसा होना चाहिए। लेकिन यह तो फॉरेनवालों ने यहाँ थोड़े हिप्पी भेजे तो यहाँ के लोगों ने उनकी नकल कर डाली ! तो फिर भी उससे हिन्दुस्तान का कुछ बिगड़नेवाला नहीं है, सुधरनेवाला ही है।