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________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय [116-34] नमस्कार व्याख्यानम् ममो अरिहंताणं // 1 // माहरउ नमस्कारु अरिहंत हउ / किसा जि अरिहंत, रागद्वेषरूपिया वयरी जेहि हणिया, अथवा चतुषष्टि इंदसंबंधिनी पूजा महिमा अरिहइ, जि उत्पन्न दिव्यविमलकेवलज्ञानं, चउत्रीस अतिशयि समन्वित, अष्टमहाप्रातिहार्यशोभायमान महाविदेहि खेत्रि विरहमान तीह अरिहंत भगवंत माहरउ नमस्कारु हउ // 1 // नमो सिद्धाणं // 2 // माहरउ नमस्कारु सिद्ध हउ / किसा जि सिद्ध, दुष्टाष्टकर्मक्षठ करिउ, जि मोक्षे ग्या / आठ कर्म किसा भणियइ / ज्ञानावरणीउ 1 दरिसणावरणीउ 2 वेदनीउ 3 मोहनीउ 4 आयु 5 नामु 6 गोत्तु 7 अंतराउ 8 ईह आठकर्मक्षउ करिउ जि सिद्धि ग्या। किसी ज सिद्धि; लोक तणइ अग्रविभागी पंचत्तालीस लक्षयोजनप्रमाणि जिसउ उत्ताणु छत्तु तिसइ आकारि ज सिद्धिसिला, अमलनिर्मल जलसंकास जु अजरामरस्थानु तेह उपरि योजनसंबंधियइ चउवीसमह य विभागि जि सिद्ध अनंतसुखलीण ति सिद्ध भणियइ / तीह सिद्ध माहरउ नमस्कार हउ // 2 // नमो आयरियाणं // 3 // माहरउ नमस्कार आचार्य हुउ / किसा जि आचार्य, पंचविहु आचारु जि परिपालइ ति आचार्य भणियइ / किसउ पंचविहु आचारु / ज्ञानाचारु, दर्शनाचारु, चारित्रा:चारु, तपाचारु, वीर्याचार यउ पंचविहु आचारु जि परिपालइ ति आचार्य भणियइ / तीहआचार्य माहरउ नमस्कारु हउ // 3 // _ नमो उवज्झायाणं // 4 // माहरउ नमस्कार उपाध्याय हुउ / किसा जि उपाध्याय; द्वादशांगी जि पढइ पढावइ / किसी ज द्वादशांगी; आचारांगु; 1 सुयगड्डु 2 ठाणांगु 3 समावाउ 4 विवाहपन्नत्ति 5 ज्ञाताधर्मकथा 6 उवासगदसा 7 अंतगडदसा 8 अणुत्तरोववाइयद सा 9 पण्हवागरणु 10 विपाकश्रतु 11 दृष्टिवादु 12 ए बार अंग जि पढइ पढावइ ति उपाध्याय भणियइ / तीह उपाध्याय माहरउ नमस्कारु हुउ // 4 // ___ नमो लोए सव्वसाहूणं // 5 // इणि लोकि जि केइ अछइ माधु / यउ लोकु च किसउ भणियइ / अढाइ द्वीपसमुद्र पनर कर्मभूमि / जि किसी पांच भरत, पांच ऐरवंत, पांच महाविदेह क्षेत्र ईह पनर कर्मभूमिमांहि जि केइ अछइ साधु / किसा जि साधु; रत्नत्रउ जि साधइ / किसउ रत्नत्रउ; ज्ञानु दर्शनु चारित्रु यउ रत्नत्रउ जि साघइ ति साधु भणयइ / तीह साधु पंचमहाव्रतपरिपालक / पंचमहाव्रत किसा भणियइ / प्राणातिपातु 1 मृषावादु 2 अदत्तादानु 3 मैथुनु 4 परिग्रहु 5 रात्रिभोजनु / जि विवर्जइ ति साधु भणियइ / तीह साधु सर्व ही माहरु नमस्कारु हुउ // 5 // ___ एसो पंच नमुक्कारो // 6 // एउ पंचपरमेष्ठि नमस्कारु / पंच परमेष्ठि किसा / जि पूर्वोक्तभणिया अरिहंत 1 सिद्ध 2 आचार्य 3 उपाध्याय 4 साधु 5 इह पंचपरमेष्ठिनमस्कारु भावि क्रियमाणु हुंतउ किस करइ // 6 // सव्वपावप्पणासणो // 7 // सर्वपापप्रणासकारियउ हुइ / ईणी जीवि चतुर्गतिकि संसारि भव
SR No.023548
Book TitleNamaskar Swadhyay Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1980
Total Pages370
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size38 MB
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