________________ 26 [हिन्दी . श्रीनवकारस्तवन गुण सत्तावीस साधु, अट्ठोत्तरसो मिली, प्रतिपद अनुक्रम जाप, सहस दोय मन रली / पूजा कर जिनराज, सुगुरु संतोषिये, लीजे नरभव लाह, साहम्मी पोषिये // 12 // ऊजमणानी विध पांच, पांचमनी पर कहै, त्रिभुवन तिलक अनूप, सदा सुख सो लहैं, इण विध दूसण टाल, धरै व्रत जिनमती, प्रेमराज सब सिद्ध, सुमुख होय सासती // 13 // USA