________________ विभाग ] नमस्कार स्वाध्याय त्रैसठ पुरस प्रसिद्ध, जगतमें जाणिये, तप करिये सो भाग, विशेष वखाणिये / राज रिद्ध सब सिद्ध, बद्ध तीजे लहै, तप कर सुंदर रूप, सदा सुख निरवहै // 5 // देखी तप परमाण, आण माने सह, अमिय भरी सुभदृष्टि, विलौके सुरबहू / आठ करमनो अंत, करै तप तत्खिणे, विधन विग्रुष दुःख दूर, वाणी जिनवर भणै // 6 // मुगत माननी मान, लबद्धी गुण ऊपजै, मंत्र तंत्र रथ सिद्ध, इन्द्र सम नीपजै, जंघाचारण चैत्य, जुहारै सासता, आणंद अंग न माय, मोटी तप आसता // 7 // भारी कर्मनो जीव, तरै तपसुं सदा, सुर नर सवे कोडि, जोड करकू सदा / अष्टापद चढ साधु, सेवे जे जिन बली, तापस विण प्रतिबोध, किया जिन केवली // 8 // पद पहिले उपवास, सात भवियण करै, दूजे पद उपवास, पंच मन सुध करै / त्रीजै सात उपवास, सातमांहि नहि भमै, कर चौथे पद सात, कर्म वैरी गमे // 9 // पंचम पद उपवास, करे नव प्रेमसुं, पंच पूजन गुणमाल, हिये धर नेमसुं। पद छ? उपवास, सातम पद आठमै, आठ आठ वली आठ, करै पद नव नमै // 10 // सब अडसठ उपवास, आस पूरण करै, शिव सुख मंगल श्रेणि, सदा आवी वरै / बारै गुण अरिहंत, आठ सिद्धां तणां, सूर छतीस पच्चीस, जाण पाठक गुणां // 11 //