________________ xxvi (5) विरताविरत गुणस्थान, (6) प्रमत्त सयत गुणस्थान, (7) अप्रमत्त संयत गुणस्थान, (8) निवृत्तिवादर गुणस्थान, (6) अनिवृत्तिवादर गुणस्थान, (10) सूक्ष्म साम्पराय गुणस्थान, (11) उपशान्त कषाय गुणस्थान, (12) क्षीण कषाय गुणस्थान, (13) सयोग केवली गुणस्थान (14) अयोग केवली गुणस्थान (ग) कर्म तथा उसके भेद : (अ) घातिया कर्म-ज्ञानावरणीय कर्म, दर्शनावरणीय कर्म, मोहनीय कर्म, अन्तराय कर्म, (आ) अघातिया कर्म-वेदनीय कर्म, आयुष्य कर्म, नामकर्म, गोत्रकर्म (इ) कर्मक्षय का क्रम / (घ) केवलज्ञान : (1) सम्पूर्णज्ञान : केवल ज्ञान, (2) समग्रज्ञानः केवलज्ञान, (3) केवलः केवलज्ञान, (4) अप्रतिपक्षः केवलज्ञान / (ङ) अरहन्तः सर्वज्ञ : (च) अरहन्त : तीर्थकर -(1) तीर्थंकर, (2) तीर्थंकर परम्परा, (3) तीर्थंकर पद और उसकी प्राप्ति की कारणभावनाएं तथा बीस स्थानक, (4) तीर्थंकर की माता के स्वप्न, (5) तीर्थंकरों के पंचकल्याणक, (6) अष्टादशदोषरहित तीर्थंकर / (छ) छयालीस गुणसम्पन्न तीर्थंकर : (अ) अनन्त चतुष्टय-अनन्तज्ञान, अनन्तदर्शन, अनन्तवीर्य, अनन्तसुख, (आ) अष्टमहाप्रातिहार्य-अशोक वृक्ष, सुरपुष्पवृष्टि, दिव्यध्वनि, चंवर, सिंहासन, भमण्डल, देव दुन्दुभि, श्वेत आतपत्र, (इ) चौंतीस अतिशय (ज) तीर्थंकर की दिव्य ध्वनि : (अ) दिव्यध्वनि के पैंतीस अतिशय (आ) दिव्यध्वनि का समय / (झ) तीर्थंकर का समवसरणः (अ) समवसरण की संरचना, (आ) श्रीमण्डप / (ञ) तीर्थंकर का उपदेश : (अ) धर्म के मूल तत्त्वों में अभेद (आ) महाव्रतों की देशना, (इ) मोक्षमार्ग का उपदेश, (ई) स्याद्वाद निरूपण, (उ) जीवाजीव