________________ ( 188) . साखीसप्तम शान्तिनाथ को, मंदिर महाविशाल / राजुलगुफारलियामणी, चौमुख जिन दयाल // हो प्रभुजी प्यारा, मंदिर देव विमानहो जिनजी मोरा गिरनार गड़को जान // नित्य० // 6 // साखीत्रिभुवन उद्योतक आपहो, मैं तेरा हूँ दास / भूल चूक भक्ति विषे, होजो ते सवी नास // हो गिरनारना वासी, राजेन्द्रपति रघुरायहो गुरुवर मोरा, यतीन्द्र करूणा चाय // नित्य० // 7 // देशी-नमो जगवल्लभ किरतारे. नमो भव संतति हरनारे, प्रभु नेमिजिनेश्वर प्यारे // टेर॥ गिरनार मंडन, मोहराय खंडन / अतिशय धाम धरनारे ॥प्रभु० // 1 // राजन के राजा, तज राज्य समाजा। भोग करम क्षय कारे // प्रभु० // 2 // सहसावन में, घर व्रत मन में / केवलज्ञान पानारे // प्रभु० // 3 // राजीमति कन्या, सतीशिरो धन्या / उसको मी संजम दे तारे॥ प्रभु०॥४॥