SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 199
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( 186 ) महिमा तुम तणी कहाँ लग गाईं, तोरे गुणों का पार न पावें / पावं मेरे प्यारे, मन में मोद न माई // अहो० // 4 // आबाल ब्रह्मचारी सुसारा, राजेन्द्र जगमें हुआ उजारा, उजार मेरे प्यारे, वाचक यतीन्द्र सहाई // अहो० // 5 // गिरनारमंडन-जिन-स्तवनानि / दोहाऊपर कोट गिरनार के, मंदिर महा विशाल / कइक देवकुलिकाओं सह, दीपे झाक झमाल // 1 // देशी-सिद्धाचल जावू रेनित्य गुण गाऊं रे, गिरनारे भणी जाऊं रे दादा आयो तोरे दरबार, सुणो नेमि लाला राखो कछु दरकार // टेर / साखीऊपर कोट की टेकरी, प्रथम टोंक कहेवाय / वहाँ बिराजे आप हो, दर्शन को भवि आय // . सुणो नेमिराया राजुलराणी का किया त्यागहो सुगुणा साहिब हियडे भरी वैराग // नित्य० // 1 //
SR No.023536
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1935
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy