________________ ( 153 ) सुंदर रंगीन चित्र बने दुए हैं। यहाँ फाल्गुनसुदि 3 / 4 / 5 तीन दिन का अच्छा मेला भराता है, जिसमें अंदाजन चार पांच हजार यात्री इकट्ठे होते हैं और उसीमें पांचम के दिन जिनालय पर ध्वजा चुढाई जाती है। यात्रियों के ठहरने के लिये यहाँ विशाल धर्मशाला बनी हुई है, और उशीमें सेठ वर्द्धमान कल्याणजी की पेढी है, जो इस तीर्थ का वहिवट और व्यवस्था करती है। तीर्थ दर्शनीय है और इसके मुकाबले की बांधणी क्वचित् ही कहीं होगी। 46 सामखियारी कच्छवागड में भचाऊ तालुके का यह गाँव है, जिसमें 75 घर मन्दिरामर्गी, 90 घर छकोटी स्थानकवासी एवं ओसवाल जनों के 165 घर आबाद हैं / इनमें परस्पर संप अच्छा है और एक दूसरे के साधु साध्वियों की सेवाभक्ति प्रेम से करते हैं / यहाँ एक उपाश्रय, एक स्थानक और एक छोटा जिनालय है, जो नया बना है और उसकी प्रतिष्ठा होना वाकी है। 47 जंगी यहाँ वीसा श्रीमालीजैनों के 20 घर हैं, जो मंदिरमार्गी और अच्छे भावुक हैं। इसमें 3. उपाश्रय, 1 'धर्मशाला और 1 गृहमंदिर है, जिसमें मूलनायक श्रीचन्द्रप्रभ की 16 अंगुल बड़ी श्वेतवर्ण मूर्ति स्थापित है / इस पर लिखा है कि