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________________ (148) 44 भूवड____यहाँ वीसा श्रीमाली जैनों के 15 घर हैं, जिनमें 5 देरावासी और 10 स्थानकवासी हैं। एक उपाश्रय, 1 स्थानक और छोटा शिखरवाला एक मंदिर है, जिसमें मूलनायक श्री अजितनाथ की एक फुट बडी श्वेतवर्ण प्रतिमा स्थापित है / गाँव बाहर भी एक प्राचीन जिनालय था जिसमें इस समय महादेवलिंग स्थापित है। 45 भद्रेश्वर ( वसइ) कच्छवागड और कच्छकंठी परगने के मध्य सुकरी नदी के दक्षिण तट पर यह गाँव आबाद है, जो प्राचीन काल में बडा भारी शहर था / यहाँ चारो तरफ तीन कोश तक के भग्नावशिष्ट खंडेहर और जंगल में विखरे पडे हुए नकशीदार पत्थर अब भी इसकी प्राचीनता को दिखला रहे हैं / इसके पतिताऽवशिष्ट खंडेहरों में धनकुबेर जगदुद्धारक जगडूशाह की सप्तखंडी हवेली, उनकी बैठक का दरीखाना, उनका गुप्त खजाना (भूमिघर), कलापूर्ण कुआ, पांडवकुंड आदि स्थान देखनेवालों को आश्चर्यान्वित बनाते हैं / सं० 1195 का बना 'फूलसर' तालाव जो चोतरफ से मजबूत बांधा हुआ है, वो इसकी, प्राचीनता का द्योतक है / प्राचीनकाल में यहाँ अनेक क्रोडपति कुटुम्ब निवास करते थे और कच्छ की प्राचीन राज्यगादी
SR No.023536
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1935
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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