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________________ (111) किनारे पर यह गाँव वसा है, जो पालीताणा संस्थान का है। इसमें वीसाश्रीमाली 1 और दशाश्रीमाली 1 एवं जैनों के दो घर हैं, जो साधु साध्वियों के अच्छे भावुक और धर्मप्रेमी हैं। 3 गारीयाधार पालीताणा के गोहेलठाकुरवंश की राज्यधानी का यह जूना नगर है, जिसकी आबादी अंदाजन 6000 मनुष्यों की है। इसमें वीसाश्रीमाली 5 और दशाश्रीमाली के 55 मिलके जैनों के 60 घर हैं, जिनमें 15 घर वैष्णव हैं। चारो तरफ किलेके समान कोट के मध्यभाग में छोटा, पर बडा सुन्दर सौधशिखरी एक जिनालय है, जो राजा संप्रति का बनवाया माना जाता है और इसका सं० 1895 में जीर्णोद्धार हुआ है / इसमें मूलनायक श्री शान्तिनाथ की वादामीवर्ण की एक बड़ी प्राचीन और सर्वाङ्ग सुंदर प्रतिमा स्थापित है। जिनालय सर्वत्र प्रस्तर की पचरंगी लादियों से अलंकृत है / इसके सामने अंग्रेजी फेसन के दो उपाश्रय नये बने हुए हैं, जिनमें ऊपर नीचे दो मंजिले हैं। 4 सनोलिया यह भावनगरस्टेट का गाँव है, जो छोटा है / इसमें श्रीमालीजनों के अच्छे भावुक और धर्मप्रेमी तीन घर हैं।
SR No.023536
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1935
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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