________________ 9 को नीचे उतर कर संघ तलेटी होकर अन्दाजन 10 वजे जूनागढ आया / सेठ देवचंद-लखमीचंद-जैनश्वेताम्बर पेढीने प्रशंसनीय जुलुश के साथ संघ का स्वागत (सामेला) किया / संघपति के तरफ से यहाँ एक स्वामिवात्सल्य हुआ और जुदे जुदे खाताओं में यथाशक्ति अच्छी रकम भी दी गई। जूनागढ से श्रीसंघ सन्मान सह रवाने होकर पौषवदि 11 के दिन वडाल आया / यहाँ हरजी (मारवाड़) वाले सुश्रावक जवानमल वीराजी के तरफ से नवकारसी, और संघवी तरफ से सेर सेर मिश्री की लहाणी हुई / 12 जेत. लसर-जंक्सन, 13 पीठडिया, 14 गोमटा में मुकाम करता और स्थानीय संघ की भक्ति का लाभ लेता लिवाता हुआ पौषकृष्णा अमावास्या के दिन ग्यारह बजे गोंडलशहर में आया / यहाँ के जैनसंघने संघ का सरकारी लबाज में और बेंड के साथ दर्शनीय स्वागत किया और विविध प्रीतिभोजनों से संघ-सेवा की। संघपतिने स्थानीयसंघ की रजा लेकर जिनालय में सिद्धचक्रजी की पूजा भणाई, श्रीफल की प्रभावना वांटी और मोसमपाक की नवकारसी की / पौषसुदि 2 के दिन प्रातःकाल में श्रीसंघ गोंडल से रवाना हुआ और 3 का मुकाम रीबडा में करके 4 के दिन 11 वजे राजकोट पहुंचा। राजकोट संघने बेन्डवाजा आदि समारोह से