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________________ ( 88 ) मगसिर सुदि 11 घेटी, 12 मानगढ, 13 गारीयाधार, 14 सनोलिया, 15 सनली, इन गाँवों में सन्मान पूर्वक ठहरता हुआ पोषवदि प्रथम 1 के दिन सुवह 9 बजे संघ वड़ोदास्टेट के शहर अमरेली में पहुंचा। अमरेली जैनसंघने भारी जुलुश के साथ संघ का स्वागत किया और विविध भोज्य सामग्री से संघ-भक्ति का लाभ लिया। संघपति प्रतापचंद धूराजीने स्थानीय संघ को इकट्ठा करके यहाँ संघजमण (स्वामिवच्छल) की रजा मांगी, लेकिन शहर के जैनों में दो धडे होने से पारस्परिक कलह के कारण रजा नहीं मिली। अमरेली से प्रयाण करके संघ पोषवदि द्वितीय 1 को भंडारिया, 2 को बगसरा, 3 को माऊंझंझवा, 4 को गलत, 5 को खारचिया में सन्मान-सत्कार सह ठहरता और संघभक्ति का लाभ लेता, लिवाता हुआ हस्तिनापुर-हनुमानधारा के रास्ते से पौषवदि 6 के दिन तीन वजे संध्या को गिरनारजी के पवित्र स्थान सहसावन (सहस्राम्र-वन )में पहुंचा और यहाँ श्रीनेमिनाथ के चरणयुगलों का दर्शन पूजन करके अपूर्वानन्द निमग्न हुआ। पौषवदि 7 को सुबह सहसावन से ऊपर चढ कर संघ ऊपर कोट में गया और यहाँ दो रोज ठहर कर ऊपर कोट गत सभी जिनालयों और पांचवीं टोंक आदि पवित्र स्थानों के दर्शन-पूजन का संघने लाभ प्राप्त किया / पोषवदि
SR No.023536
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1935
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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