________________ ( 90 ) संघ का सामेला किया और संघको दो दिन रोक कर विविध भोजनों से संघभक्ति का लाभ लिया / संघपतिने यहाँ नोकारसी की रजा न मिलने से सेर सेर शक्कर की ल्हाणी और जिनालय में पूजा भणाकर श्रीफल की प्रभावना वांटी / पौषसुदि 7 के प्रातःकाल में संघ राजकोटसे रवाने होकर 7 खोराणा, 8 सींधावदर, 9 जडेसर, 10-11 लजाई आदि गाँवों में सन्मान सह मुकाम रखता हुआ पौषशुक्ला 12 को दश बजे मोरबी में आया। मोरबी जैनसंघने दबदबा भरे जुलुश से संघ का सामेलास्वागत किया और अति आग्रह पूर्वक संघ को माघ (गुजराती पोस ) वदि 6 तक रोक कर दश दिन पर्यन्त जुदे जुदे सद्गृहस्थोंने प्रीतिभोजनों से संघभक्ति का अलभ्य लाभ लिया। मोरवी-संघ के अत्याग्रह से यहाँ दशो दिन हमारा व्याख्यान जुदे जुदे विषयों पर होता रहा / व्याख्यान में श्रावक श्राविकाओं की संख्या अन्दाजन 400 के होती थी। संघपति के तरफ से व्याख्यान में हमेशा प्रभावना वांटी जाती थी। इसी स्थिरता के दरमियान श्री अमृतविजय-जैनपाठशाला और कन्याशाला के जैनबालक बालिकाओं की पाण्मासिक परीक्षा ली गई। परीक्षा के समय 51 बालक और 51 बालिकाएँ उपस्थित थे / पंचप्रतिक्रमणमूल, नवस्मरणमूल और जीव