________________ (82) मन्दिरों का बड़ा घेरा और दाहिनी ओर मानसिंह का पुराना मन्दिर है / यहाँ पहाड़ी की चोटी से 600 फीट नीचे पहाड़ी के खड़े भाग के शिखर पर 16 जैन मन्दिर हैं। जिनमें सबसे बड़ा और पुराना श्रीनेमनाथ का मन्दिर है, जो 165 फीट लम्बे और 130 फीट चौड़े चौकोने आंगन में स्थित है / नेमनाथस्वामी के मन्दिर से बाये ओर तीन जिन मन्दिर हैं। जिनमें दक्षिणवाले मन्दिर में श्रीऋषभदेवस्वामी की भव्य मूर्ति बिराजमान है / इसके सामने पंचभाई का नया मन्दिर और उसके पश्चिम श्रीपार्श्वनाथस्वामी का बड़ा मन्दिर और इस से उत्तर श्रीपार्श्वनाथ का दूसरा भव्य मन्दिर है / उत्तर बगल के पास कुमारपाल राजा का सुन्दर मन्दिर है जिसका उद्धार हंसराज जेठाने सन् 1824 में कराया था / नेमनाथ भगवान् के मन्दिर के पीछे वस्तुपाल-तेजपाल का अति रमणीय नकसीदार मन्दिर जो चोमुख है और जिसमें श्रीमल्लिनाथ भगवान की दिव्य मूर्ति स्थापित है / इसके सामने अति मनोहर कोरणांवाला राजा सं. प्रति-सम्राट का मन्दिर है / इन के सिवाय पंचमेरु, मेकरवसी, संभवनाथ, संग्रामसोनी आदि मन्दिर भी दर्शनीय हैं। वस्तुपाल-तेजपाल के मन्दिर के पास से होकर कुछ ऊंचे जाने पर राजुलगुफा, उससे कुज आगे दिगम्बर जैनों का मन्दिर, उससे आगे गोमुखी आती है। यहाँ से एक रास्ता सहसावन की ओर जाता है, जो पहाड़ी की ढालू जमीन पर नीचे आया हुआ है / सहसावन में भगवान् श्रीनेमनाथ स्वामीने दीक्षा ली थी। दीक्षास्थान पर आन की सधन झाड़ी के मध्य में एक पत्थर की