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________________ (83) बनी हुई छत्री (देवरी ) में नेमनाथ भगवान की चरण-पादुका बिराजमान हैं। गोमुखी से दूसरा रास्ता रहनेमि, अंबावजी और गोरख टेकरी होकर पांचवीं टोंक को जाता है। पांचवी टोंक पर श्रीनेमनाथ भगवान का केवलज्ञान और निर्वाण कल्याणक हुआ है और नेमनाथस्वामी के वरदत्त नामक गणधर मोक्ष गये हैं। इसी से इस पहाड़ी का नाम वरदत्तटेकरी प्रसिद्ध है / जैनेतर लोग इसको दत्तात्रयी टेकरी कहते हैं / यहाँ पर वरदत्तगणधर के चरण-पादुका स्थापित हैं जिनको जैन, हिन्दू और मुसलमान सभी वांदते पूजते हैं। चरण-पादुका के पास ही एक पत्थर में नेमनाथस्वामी की एक मूर्ति भी उकेरी हुई है / सिद्धाचल के समान यह तीर्थ भी पवित्र माना जाता है। इसके कैलासगिरि, उज्जयन्तगिरि, रैवतगिरि सुवर्णगिरि और नन्दनभद्रगिरि ये प्राचीन और गुण-निष्पन्न नाम हैं। 57 जेतपुर. बम्बई हाते के काठियावाड सौराष्ट्रडिवीजन में यह एक देशी राज्य की राजधानी है जो जेतलसर जंक्सन से तीन मील पूर्व स्थित है / यहाँ रेल्वेस्टेशन है और यहाँ से राजकोट, धोराजी, जूनागढ़ को और मानपाडाको पक्की सडक गई है / यह कसवा छोटा होनेपर भी उन्नति पर है और इसमें 17 तालुकदार हैं। इसमें श्वेताम्बर जैनों के 40 घर, स्थानकवासी जैनों के 300 घर, एक उपासरा, एक धर्मशाला और एक जैनमंदिर है / मन्दिर में भूलनायक भगवान् श्रीआदिनाथस्वामी की दिव्य मूर्चि बिराजमान है।
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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