________________ ( 81 ) दामोदरकुंड, रेवतकुंड और तापसों के अखाड़े वगैरह नजर पड़ते हैं। तलेटी पर दो जैन धर्मशाला, एक रसोड़ा भवन, एक बगीचा और एक श्वेताम्बर जैनमन्दिर, और दिगम्बर जैन मन्दिर बने हुए हैं। दोनों मन्दिरों में भगवान् श्रीनेमनाथस्वामी की भव्य मूर्तियाँ बिराजमान हैं / जो श्वेताम्बर जैन-यात्री पहाड़ पर से यात्रा करके नीचे उतरते हैं उनको रसोड़ा-भवन में ताजी रसोई जीमने को मिलती है / रसोई का सारा प्रबंध जूनागड़ की गिरनारजी जीर्णोद्धार तथा तलाटी रसोड़ा कमेटी के तरफ से नियत रसोईदार करते हैं और यात्रियों से भोजन का पैसा नहीं लिया जाता। पहाड़ के नीचे एक पक्का पत्थर का दर्वाजा बना हुआ है। यहाँ से प्रथम टोंक तक पत्थर की मजबूत सीढियाँ बनी हुई हैं और रास्ते में जगह जगह पर विश्राम स्थान बने हुए हैं। लगभग 500 फिट ऊपर पत्थर की एक छोटी धर्मशाला हैं, जहाँ से भेरवझम्पा नामक चट्टान देख पड़ती है / पूर्वकाल में अनेक अज्ञानी लोग इस चट्टान से 1000 फीट नीचे कूद कर आत्म-घात करते थे। उनका मन्तव्य था कि-जो इस प्रकार आत्म- घाव करता है वह दूसरे जन्म में राजा होता है / राजा होता है। जैनमन्दिर जूनागढ़ के मैदान से 2370 फीट और समुद्र के जल से 3000 फीट ऊपर देवकोट के घेरे का जिसको खेंगार का महल भी कहते हैं, फाटक है। फाटक से भीतर पहाड़ी के बाम-भाग की तरफ़ पश्चिम किनारे के पास जैन