________________ ( 289 ) स्थापित है। इसके अलावा इस मन्दिर में 168 धातुमय प्रतिमा और भी हैं जो छोटी बडी सब तरह की हैं। 2 अचलगढ के चतुर्मुखविहार नामक मुख्य मंदिर के सामने के मैदान में श्री ऋषभदेवस्वामी का मंदिर है, जो चोवीस जिनालय है / इसमें छोटी बडी सब मिलाकर देवकुलिकाओं के सहित 27 जिनप्रतिमा, एक जोड चरण पादुका और एक देवी की मूर्ति है / 3 चतुर्मुख-विहार इस विशाल और उच्चतम मन्दिर को प्राग्वाटज्ञातीय संघवी सहसा शाहने बनवाया है। इसके चारों द्वारों में विशालकाय अतिसुन्दर धातुमय प्रतिमाएँ विराजमान हैं, जो स्वर्ण के समान और दर्शकों के चित्त को अत्यानन्द उत्पन्न करने वाली हैं / इस मन्दिर के मुख्य द्वार उत्तर में मूलनायक श्रीआदिनाथस्वामी की जो विशाल प्रतिमा स्थापित है, उसकी पलांठी के नीचे लिखा है कि संवत् 1566 वर्षे फाल्गुन सुदि 10 दिने श्री अचलदुर्गे राजाधिराज श्री जगमालविजयराज्ये प्राग्वाटज्ञातीय सं० कुरपाल पुत्र सं० रत्ना, सं० धरणा, सं० रत्नापुत्र सं० लाखा, सं० सलखा सं० सोना; सं० सालिग भा० सुहागदे पुत्र सं० सहसाकेन भा० संसारदे पुत्र खीमराजं द्वि० अनुपमदे पुत्र देवराज, खीपराज भा० रमादे पुत्र जयमल्ल, मनजी प्रमुख युतेन निनकारित चतुर्मुखमासादे उत्तरद्वारे पित्तलमय-मूलनायकं श्री आदिनाबिवं कारितं, प्र० तपागच्छनायकश्रीसोमसुंदरमूरिपट्टे