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________________ ( 288 ) 4 खरतरवसहि ( चोमुख मन्दिर ) यह मन्दिर खरतरगच्छीय संघ के तरफ से बना है / परन्तु वर्तमान में लोग इसको 'सिलावटों का मन्दिर' कहते हैं / यह तीन खंडवाला चोमुख मन्दिर हैं, जो बहुत ऊंचा और रमणीय है। इसके प्रथम खंड में आदिनाथ, सुमतिनाथ, शान्तिनाथ और पार्श्वनाथ, तथा द्वितीय खंडमें श्रीपार्श्वनाथादि प्रतिमाएँ मूलनायक तरीके विराजमान हैं, जो सं० 1521 और 1523 की प्रतिष्ठित हैं और प्रतिष्ठाकार खरतरगच्छीय श्रीजिनहर्षसूरिजी हैं। इसी प्रकार तृतीयखंड में भी पार्श्वनाथ की चार प्रतिमाएं स्थापित हैं / तीनों खंड में मूलनायक सहित कुल प्रतिमाएँ 66 हैं। इस प्रकार आबुदेलवाड़े में सभी श्वेताम्बर जैनमन्दिरों की छोटी बड़ी जिनमूर्तियाँ संख्या में 1487 हैं। जिनमें विक्रम सं० 1088 से 1752 तक की प्रतिष्ठित मूर्तियाँ है और उनके प्रतिष्ठाकार जुदे जुदे कई आचार्य हैं / ओरिया के महावीर मन्दिर और परमाहत् राजा कुमारपाल के शान्तिनाथ मन्दिर में छोटी वडी सब मिलाकर कायोत्सर्गस्थ प्रतिमाओं के सहित 10 जिनप्रतिमाएँ हैं / इन दोनों मन्दिरों में से एक ओरिया गाँव में और दूसरा सोमेश्वर के सामने स्थित है / अचलगढ़-आबू 1 अचलसी अमरसिंह जैन कारखाना जो अचलगढ की पेढी है / उसके एक कमरे में एक गुंबज वाला जिनमन्दिर है जिसमें मूलनायक श्रीकुन्थुनाथ भगवान् की धातुमय प्रतिमा
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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