________________ परिशिष्ट नम्बर 3 आबु के जिनमन्दिर और प्रतिमाएँ। ( देलवाडा-आबू ) विमलवसहि ( आदिनाथ ) यह सौधशिखरी भव्य मन्दिर चौलुक्यवंशी राजा भीमदेव प्रथम के दंडनायक विमलशाह पोरवाडने बनवाया है, जो शिल्पकारी के विषय में भारतवर्ष में अद्वितीय माना जाता है। इसकी जमीन ब्राह्मणों से सोने के सिक्के विछाकर खरीदी गई थी और इसके बनवाने में विमलशाह के 185300000 रुपये खर्च हुए थे। इसकी प्रतिष्ठा विक्रम संवत् 1088 ( इ० स० 1011 ) में आचार्य श्रीवर्द्धमानसूरिजी महाराज के कर-कमल से हुई थी। इस समय इसमें छोटी बडी जिन प्रतिमाओं की संख्या इस प्रकार है 1 मूलनायक-श्रीऋषभदेव / 4 मूलनायकजी के परिकर में छोटी। 32 दो कायोत्सर्गस्थ बड़ी प्रतिमाओंके सहित काउसगिया। 24 दो कायोत्सर्गस्थ प्रतिमा के परिकर में छोटी / 16 चोमुख देवल नग चार में। . . 17. सप्ततिशतजिन-पट्टक नग 1 में छोटी।