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________________ (284 ) 72 त्रिचतुर्विंशतिजिन-पट्टक नग 1 में छोटी / 168 चोवीसी जिन-पट्टक नग 7 में छोटी / 4 धातुमय प्रतिमा। 15 धातुमय पंचतीर्थी नग 3 में 5 धातुमय सिद्धचक्रजी का गट्टा / 185 देवकुलिकाओं ( देरीयों ) में / 64 देहरीगत प्रतिमाओं के परिकर में छोटी / 4 हस्तिशाला के चोमुख नग 1 में 10 हस्तिशाला के वांये तरफ महावीर मन्दिर में / इनके सिवाय श्री प्राचार्यप्रतिमा 3, चरण-पादुका जोड 1 और यक्ष यक्षिणियों की मूर्तियाँ 11 हैं। 2 लूणगवसहि ( नेमनाथ-मन्दिर ) यह सौधशिखरी जिनमन्दिर भी अपनी शोभा के लिये भारतवर्ष में एक ही है। इसको चौलुक्यराज वीरधवल के मंत्री तेजपालने अपने पुत्र लावण्यसिंह ( लूणगसिंह ) के श्रेयोऽर्थ बनवाया है / इसके बनवाने में तेजपाल के 135300000 रुपये खर्च हुए थे। इसी भव्य मन्दिर में देराणी-जेठाणी के खोखडे हैं जो वस्तुपाल की स्त्री ललितादेवी और तेजपाल की स्त्री अनुपमादेवीने अपने निज द्रव्य से बनवाये हैं और इनके बनवाने में अठारह लाख रुपये खर्च हुए हैं / इस विशाल जिन
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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