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________________ (276) .. .. (26) 1.-" सं० 1683 आषाढवदि 4 गुरुवार के दिन श्रवणनक्षत्र में श्रीजालोरनगर के स्वर्णगिरि गढ के ऊपर महागजाधिराज महाराजा श्रीगजसिंहजी के शासनकाल में मुहणोतगोत्र में दीपक समान मं० अचला पुत्र मं० जेसा स्त्री जयवंतदे पुत्र मं० श्रीजयमल्ल भा० सरूपदे, दूसरी स्त्री सोहागदे, पुत्र नयणसी, सुंदरदास, आसकरण, नरसिंहदास प्रमुख कुटुम्ब सहित स्वकल्याण के लिये श्रीधर्मनाथ भगवान का बिम्ब भराया / श्रीतपागच्छ नायक भट्टारक श्रीहीरविजयसूरिजी की गादी के अलङ्कार भ. श्रीविजयसेनसूरिजीने उसकी प्रतिष्ठा की।” पृ० 184 (30) 11-" सं० 1683 आषाढवदि 4 गुरुवार के दिन सूत्रधार उद्धरण, उसके पुत्र तोडग, ईसर, डाहा, दुहा हाराकने कराया और तपागच्छीय भ० श्रीविजयदेवमूरिजीने प्रतीष्ठा की। पृ० 185 इस लेख में किसी भगवान् का नाम नहीं है / इससे पता नहीं लग सकता कि यह किस भगवान् की मूर्ति की प्रतिष्ठा हुई है ? 12-" सं० 1681 प्रथम चैत्रवदि 5 गुरुवार के दिन मुहणोतगोत्रीय सा० जेसा भाप जसमादे पुत्र सा० जयमल भार्या सोहागदेवीने श्री आदिनाथ का बिम्ब कराया और उसकी प्रतिष्ठा महोत्सव पूर्वक तपागच्छीय श्रीविजयदेवसृरि के आदेश से जयसागरमणिने की / " पृ० 185
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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