________________ (275) पाटपर मुकुट के समान भ० श्रीविजयसेनसूरिजी, उनके पाट पर वर्तमान और सुविहित मुनिवरों में अग्रगण्य श्रीविजयदेवसूरीश्वरजी के आदेश से महोपाध्याय श्रीविद्यासागरगणि शिष्य पं० श्रीसहजसागरगणि शिष्य पं. जयसागरगणिने प्रतिष्ठांजनशलाका की।" पृ०१८३ ___ इस लेख में कहा गया नहणसी ( नेणसी) प्रति प्रख्यात पुरुष हुआ है और मारवाड का प्रसिद्ध पतिहास का मुख्य लेखक है / इसकी बनाई हुई 'मुता नेणसीजीरी ख्यात' केवल मारवाड के लिये ही नहीं, किन्तु मेवाड और गजपुताना के लिये भी उसके ऐतिहसिक के क्षेत्र को विशाल बनानेवाली है / इस लेख के निर्माता जयमल की वंशपरंपरा इस प्रकार है मं० अचला मं० जेसा ओसवाल (स्त्री जयवंतदे) जयराज - जयमल्ल (स्त्री मनोरथदे) सरूपदे स्त्री१, सोहागदे स्त्री२, सादा सुंभा सामल सुरताण | जगमाल I I / / .... . नेणसी सुंदरदास भासकरण नरसिंहदास . . . .