________________ (295) - 2 सं० 1556 वैशाखसुदि 13 रविवार के दिन पोर• वाड संघवी वाछा, स्त्री बीजलदे पु० सं० कान्हा कुलिंगदे जाणीदेसी सुत सं० रत्नपाल, स्त्री करमाने अपने पति के श्रेय के लिये वृद्धतपापक्षीय उदयसागरसूरिजी के उपदेश से जीराउला पार्श्वनाथ के मन्दिर में देवकुलिका कराई / संघवण करमा की पुत्री मांगी और सं० कान्हा की पुत्री की पुत्री करमा श्री पार्श्वनाथ को वंदन करती है / पृष्ठ 122 (8) 3 सं० 1556 द्वितीय ज्येष्ट सुदि 1 शुक्रवार के दिन महाराजा श्रीराणाजी के प्रसाद से पोरवाड संघवी समहाने सं० सचवीर स्त्री पदमाई पुत्र सं० देवादि कुटुम्ब सहित स्व कल्याणके लिये श्रीजगनाथ (पार्श्वनाथ) के मंदिर में देवकुलिका कराई, और उस की प्रतिष्ठा भ० श्रीहेमविमलसूरिजीने की, श्री संघ का कल्याण हो / पृष्ठ 122 . 4 सं० 1552 पोषसुहि 7 सोमवार के दिन श्रीबृहतपापक्षीय भ० धर्मरत्नसूरिजी के उपदेश से स्तंभतीर्थ वासी वीसा ओसवाल सा नाथा की स्त्री वा० हेमीसुता जीवी, तथा शिवाने अपने पिता की बहिन के श्रेय के लिये जीरापल्ली-पार्थमाथ के प्रासाद में दो ताक (बालक.) कराये / पृष्ठ 122...