________________ (254) (5) 1 सिरोडी- अाबू से पश्चिम सिरोही रियासत के वापी, कूप, सरोवर, उपाश्रय, आवास, चोवटा; श्ादि से और रम्य जिनालयों से शोभित सिरोडी नामक नगर में तत्रत्य श्रावकों की प्रार्थना से तपागच्छीय श्रीविजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के शिष्य श्रीयतीन्द्रविजयजी भुवनविजय और अमृतविजय के सहित पधारे (आये) 1-4 __ सं० 1973 ज्येष्ठसुदि 1 गुरुवार के दिन विजयमुहूर्त में दंड से खंडित प्राचीन प्रार्श्वनाथ के मन्दिर पर विधिपूर्वक पूजा और महोत्सव कराके उन्होंने ( यतन्द्रिविजयजीने ) स्वर्णदण्ड और स्वर्णकलश आरोपण कराया. 5-7, पृष्ठ 116 4 हमीरगढ़- (6) 1 सं० 1346 फाल्गुनसुदि 2 सोमवार के दिन सेठ वोहरि, भार्या अच्छिणी पुत्र छोगा, भार्या कडु पु० सेठ समधर, स्त्री लाडी पु. पूनपाल, इसकी स्त्री दो चांपल तथा नाल्हू, इनके पुत्र देवपाल, मदन, कर्मसिंह और सेठ आसपाल / आसपाल की लाळू स्त्री के पुत्र महीपालने अपनी स्त्री ललिता के माता पिता के श्रेयोऽर्थ शान्तिनाथ की कायोत्सर्गस्थ प्रतिमा कराई और उसकी प्रतिष्ठा चन्द्रसिंहसूरिसन्तानीय पूर्णचन्द्रसूरि शिष्य वर्धमानसूरिजीने की | पृष्ठ 121