________________ (23) ढीमा यह इस नामकी जागीर का सदर कसबा है / इसका प्राचीन नाम दारानगर है / विक्रम संवत 235 में यहाँ थिरपालधरु के वंशजों में भोजराज धरु हो गया, उसने यहाँ पर एक सौधशिखरी जिनमन्दिर बनवाया था और उसमें श्रीपार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा स्थापन की थी। इसके बाद परमाईत राजा कुमारपालने इस भव्य मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया था। इस समय वह भव्य मूर्ति इस मन्दिर में नहीं है, परन्तु पीछे से बिराजमान की हुई सफेदवर्ण की दो फुट बडी सर्वाङ्ग सुन्दर मूर्ति विराजमान है / इसकी पलाठी की बैठक पर लिखा है कि "संवत 1683 वर्षे श्रीपार्श्वनाथर्विवं कारितं, प्रतिष्ठितं तपागच्छे विजयदेवसूरिभिः।" मुसलमानोंने इस नगर को ऊजड़ किया, उसके बाद चाग्ण ब्राह्मणोंने अपने कुलदेव ढीमानाग के नाम से यहाँ ढीमा गाँव वसा कर स्वयं राज्य किया / लेकिन वावरतस्थान के राणा पचाणजी के वडे पुत्र जेतमलजीने चारणों से छीन कर ढीमा में अपना अधिकार जमाया और उसके नीचे दूसरे सात गाँव डाल कर ढीमा जागीर बना ली / तब से अब तक उनके ही वंशज यहाँ का राज्य करते हैं। __इस जागीर के तालुकदार चौहाण राजपूत हैं / ढीमा जागीर की कुल आबादी 3386 मनुष्यों की है। इसके नीचे 7 गाँव है, यह जागीर वावस्वस्थान के अधिकार में है। यहाँ