________________ ( 245) श्वेताम्बर जैनों के 40 घर हैं, जो सभी श्रीमाली श्रोसवाल और धार्मिक भावना से रहित हैं / गाँव में एक पोसाल है, जो साधु साध्वियों के उतरने में काम आती है / गाँव के बाहर का प्रदेश कंटकपूर्ण है, अतएव नंगे पैर विचरनेवाले साधु साध्वियों को यहाँ मुसीबत पडती है। इस गाँव के बाहर तालाव के किनारे पर 'धरणिधर' का दो धर्मशाला के सहित मन्दिर बना हुआ है / जिसमें खडे आकार की श्यामवर्ण वाली वंसुरी वजाती हुई श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित है जो विक्रमयि 15 वीं सदी की प्रतिष्ठित है। इसके लगते ही एक कम्पाउन्ड में महादेव और महालक्ष्मी का देवल है जो नये बनाये गये हैं। वैष्णवों के अनेक धामों में से यह एक है / इस स्थान पर प्रतिवर्ष तीन मेला भराते हैं, जिनमें इसके माननेवाले हजारों वैष्णव यात्री उपस्थित होते हैं। भोरोळ तीर्थ___ यह इस जागीर का सदर स्थान है, इसके नीचे दश गाँव हैं जिनकी कुल जनसंख्या 3478 हैं। इसका क्षेत्रफल 33 मील चोरस है / यहाँ के उपलब्ध लेखों में इसका जूना नाम पीपलपुर, पीपलग्राम और पीपलपुर-पट्टण है / विक्रमीय 14 वीं शताब्दी तक इसकी अच्छी जाहोजलाली थी ऐसा यहाँ के कतिपय खंडेहर और भूमि निर्गत ईंट-पत्थरों से अनुमान किया जा सकता है। गाँव से पश्चिमोत्तर विशाल मैदान में 1444 स्तम्भों वाला