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________________ (213) 176 छोटा रानीवाड़ा यहाँ ओसवाल जैनों के 15 और जैन पोरवाडों के 7 घर हैं, जो खेतला, भोपा और जैनेतर देवों के उपासक हैं। गाँव में एक उपासरा और उसीके एक कमरे में वीस अंगुल बड़ी सफेदवर्ण की श्रीपद्मप्रभस्वामी की प्रतिमा स्थापित है, जिसकी अंजनशलाका सं० 1955 फागुण वदि 5 के दिन आहोर (मारवाड़) में श्रीराजेन्द्रसूरिजी महाराज के हाथ से हुई है। 180 जाखड़ी___यह छोटा गाँव है, इसमें पोरवाड़ जैनों के 20 घर हैं, जो भावुक और धर्मप्रेमी हैं / गाँव में एक पुराना अच्छा उपा. सरा और उसके ऊपरी भाग में गृह मन्दिर है जिसमें मूलनायक श्रीसहसफणा-पार्श्वनाथ और उनके दोनों तरफ अनन्तनाथ भगवान की सफेद वर्ण की तीन फुट बड़ी मूर्तियाँ विराजमान हैं / इनकी पलांठी पर एक ही मतलब के इस प्रकार लेख है___ संवत 1921 शाके 1786 प्र० माघशुक्ला 7 गुरु वा० अंचल कच्छ० सांधणन० वा० ओसवं० लघुशा० लोडा. इयाधुलागोत्रे शा० मांडणतेजसी भा० कुंअरबाई पु० शामाणक श्री सिद्धक्षेत्रे श्री पार्श्वनाथ जिनबिंब भरापितं गच्छनायक भ० श्री 7 रत्नसागरसूरिप्रतिष्ठितं / (मूल नायक) "संवत् 1921 शाके 1786 प्रथम माघशुक्लपचे सप्तमी गुरुवासरे अंचलगच्छे कच्छदेशे मालनपुरनगरे
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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