________________ ( 212) लब का लेख करके उसके ऊपर नागेन्द्रगच्छीय सोमप्रभाचार्य, उपकेशगच्छीय सिद्धसूरि, निवृतिगच्छीय महेन्द्रसूरि, विद्याधरगच्छीय हरियानन्दसूरि, ब्रह्माणगच्छीय जञ्जगसूरि, षंडेरकगच्छीय ईश्वरसूरि, और बृहद्गच्छीय उदयप्रभसूरि आदि चोरासी गच्छ के नायकों ने सहीयाँ की और उसमें भाणराजा की साक्षी डाली / यह निर्णय विक्रम सं० 775 चैत्रसुदि 7 के दिन हुश्रा / वस तभी से महाजनों के पीछे कुलगुरुओं का रगडा लगा और धीरे धीरे वे कुलगुरु परिग्रह धारी बन कर घरबारी बन गये / इस प्रकार कुलगुरुओं की उत्पत्ति भीनमाल में हुई। 177 रोपी- . . यह सागी नदी के दहिने तट पर वसा हुआ है। यहाँ औदीच्य ब्राह्मणों के 60 घर हैं, जो खेती से गुजारा करते हैं। ओसवालों की भीनमाल की यहाँ दो दुकाने हैं, इससे यहाँ साधुओं को किसी तरह की तकलीफ नहीं पड़ती। 178 सीलाण विकट छोटी छोटी पहाडियों की समविषम जमीन पर वसा हुआ यह छोटा गाँव है / यहाँ विवेकशून्य ओसवाल और पोरवाडों के 9 घर हैं। गाँव में एक उपासरा और उसके ऊपर के कमरे में सर्वधात की एक चोवीसी सिंहासन में विराजमान है, जो सं० 1638 की प्रतिष्टित है और प्रतिष्ठाकार. आणन्दसूरगच्छ के श्रीपूज गुणरत्नसूरि हैं।